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सुख चैन से जियो रोटी खाओ वरना मेरी गोली तो है ही। दशकों से ऐसे ही प्रधानमंत्री का इंतजार था*

नहीं तो एक समय वह भी था 26 11 हमले के बाद पाकिस्तान पर हमला करने को रोक दिया गया। मुस्लिम वोट नाराज हो जाएगा*

*सुख चैन से जियो रोटी खाओ वरना मेरी गोली तो है ही। दशकों से ऐसे ही प्रधानमंत्री का इंतजार था*

*नहीं तो एक समय वह भी था 26 11 हमले के बाद सेना को पाकिस्तान पर हमला करने को रोक दिया गया। मुस्लिम वोट नाराज हो जाएगा*

*कुछ हरामजादों ने 26 11 हमले के बाद पाकिस्तान को करोड़ों रुपए और टनों के हिसाब से अनाज दे दिया था*

जो लोग आज सेना के गुणगान गा रहे हैं। उन्हें इस बात का एहसास होना चाहिए 26 11 हमले के बाद भी वही सेना थी। हमले को तैयार थी परंतु उसे वक्त की सरकार ने सेना को हमला करने से मना कर दिया जैसे कि देश के 500 लोगों की जान की कोई कीमत ही नहीं थी। उल्टा उसको करोड़ों रुपए दिए गए और टनों के हिसाब से अनाज दिया गया। जैसे कि उसने बहुत पुन्य का काम किया हो। लैफ्ट लिबरल वाले नेता सेना को श्रय देना चाहते हैं पर सरकार को नहीं। जो हथियार लेकर सेना लड़ी वह सारे हथियार भारत की सरकार ने ही खरीद कर सेना को दिए। हरामजादों की सरकार के रक्षा मंत्री ने पार्लियामेंट में कह दिया था कि हमको सेना को देने के लिए हथियार खरीदने के पैसे नहीं है। पता नहीं किस बेशर्मी से कह रहे हैं कि इसमें मोदी का रोल नहीं है सरकार का रोल नहीं है। इन बेशर्म हरामजादों को मनोहर पर्रिकर का परिश्रम भी याद नहीं जो ऑक्सीजन मुंह पर लगाकर और पेशाब की थैली हाथ में पड़कर राफेल और एस 400 कसौदा पक्का करने के लिए पार्लियामेंट में आते रहे। देश उन हरामजादों को भी नहीं भूलेगा। जिन्होंने राफेल और ऐसे 400 को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी की यह देश को नहीं मिलना चाहिए। मान लो देश के पास आज राफेल और s400ना होता। तो सोच सकते हो क्या होता।

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